ہمیں ان معالجین کا شکر گزار ہونا چاہئے جنھوں نے کورونا ویکسین تیار کی ہے کورونا کو آئے پورا ایک سال ہوچکا ہے۔ایک سال میں دنیا میں بہت سی تبدیلیا واقع ہوئی ہیں ان میں مثبت تبدیلیاں بھی ہیں اور منفی بھی۔اگر ایک طرف دنیا میں بے روزگاری میں اضافہ ہوا ہے،غربت نے مزید پاؤں […]
मिल्लत में खा़मोश तालीमी इंक़लाब की आहट
(मसाइल के पैदा होने का सबब अगर जहालत है तो मसाइल का इलाज और हल, इल्म और तालीम है) तालीम को अगर मास्टर-की (Master-key) कहा जाए तो ग़लत न होगा। मसाइल पैदा होने की वजह अगर जहालत है तो उन मसाइल का इलाज और हल तालीम ही है। इस बात में किसी भी अक़्लमंद आदमी […]
उठ कि अब बज़्मे-जहाँ का और ही अन्दाज़ है
उठ कि अब बज़्मे-जहाँ का और ही अन्दाज़ है कलीमुल हफ़ीज़ ज़मीन, सूरज और सितारों की गर्दिश से दिन-रात बदलते हैं। दिन-रात के बदलने से तारीख़ें बदलती हैं और तारीख़ें बदलने से महीने और साल बदलते हैं, यूँ साल पे साल गुज़र जाते हैं। वक़्त की रफ़्तार तेज़ होने के बावजूद सुनाई नहीं देती। […]
आँखों में तेरी आज ये आँसू फ़ुज़ूल हैं
(फासीवादी अपनी हुकूमत बचाने और लोगों की गर्दनें झुकाने के लिये कुछ भी कर सकते हैं) किसानों के मौजूदा विरोध प्रदर्शन को आधा साल पूरा हो रहा है। इससे पहले किसानों ने अपना विरोध-प्रदर्शन पंजाब में रेल की पटरी पर बैठकर और अलग-अलग जगहों पर काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ जलसे जुलूस निकालकर किया था। उस […]
देश की अखण्डता का दारोमदार लोकतन्त्र के बाक़ी रहने पर है
(लोकतन्त्र की हिफ़ाज़त की ज़्यादा ज़िम्मेदारी बहुसंख्यक वर्ग पर आती है) देश ने 26 जनवरी को 72वाँ गणतन्त्र दिवस मनाया है, कोरोना महामारी की वजह से हालाँकि पहले जैसी धूमधाम तो नहीं रही, फिर भी रस्म व रिवाज के अनुसार सरकारी संस्थाओं में गणतन्त्र दिवस के कार्यक्रम आयोजित किये गए। अलबत्ता किसानों के आन्दोलन ने […]
तालीमी जंग में मिल्लत के तालीमी इदारे किस मोर्चे पर हैं
(ये दौर हथियारों से जंग का नहीं बल्कि क़लम और कर्सर की जंग का है) तालीम एक ऐसा टॉपिक है जिसपर जितना लिखा जाए कम है। यही हाल इल्म के फैलाव और उसकी गहराई का है कि जितना हासिल कर लिया जाए कम है। तालीम के साथ तालीमी नज़रियात भी चलते हैं। नज़रिया और फ़िक्र […]
मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
(देश को परेशानियों भरी इस हालत को पहुँचाने में एक दो दिन का वक़्त नहीं, बल्कि एक लम्बा समय लगा है) देश के हालात को हर समझदार नागरिक अच्छी तरह जानता और समझता है। अब इसमें कोई शक नहीं है कि हमारे देश हिन्दुस्तान के लोकतान्त्रिक मूल्य पुरानी गाथा बनकर रह गए हैं। देश के […]
हुकूमत और मुस्लिम इदारों के बीच ताल्लुक़ात पर जमी बर्फ़
(ताल्लुक़ात में ठंडक या बातचीत के दरवाज़े बन्द हो जाना मसायल हल करने के बजाय मसायल पैदा करता है) मोदी जी की हुकूमत को सातवाँ साल चल रहा है। कहने को तो उन्होंने सबका साथ सबका विकास की बात कही थी बल्कि दूसरी मीक़ात में तो एक जुमला और जोड़ दिया था यानी सबका विश्वास। […]
कोरोना वैक्सीन के आने से पहले ही बहुत-सी ग़लतफ़हमियाँ फैल रही हैं
हमें उन एक्सपर्टस का शुक्र अदा करना चाहिये जिन्होंने कोरोना वैक्सीन तैयार की है कोरोना को आए पूरा एक साल हो चुका है। एक साल में दुनिया के अन्दर बहुत-से बदलाव आए हैं, इनमें पॉज़िटिव बदलाव भी हैं और नेगेटिव भी। अगर एक तरफ़ दुनिया में बेरोज़गारी में बढ़ोतरी हुई है, ग़रीबी ने और ज़्यादा […]
विवादित कृषि क़ानून वापस लेने से इज़्ज़त कम नहीं होगी
(यह काला क़ानून किसानों को उसी महाजनी दौर में वापस ले जाएगा, जहाँ से छोटू राम और लाल-बहादुर शास्त्री ने निकाला था) मौजूदा सरकार को सातवाँ साल लग गया है। ये सात साल देश में ग़ैर-यक़ीनी सूरते-हाल में गुज़रे हैं। हर दिन किसी अनहोनी के डर में बसर हुआ है। जब-जब मालूम हुआ है कि […]