उम्मीद है कि दुनिया में अमन का सूरज निकला होगा। माइनॉरिटी पर ज़ुल्म कम होंगे। ये मेरे ही नहीं ख़ुद अमरीकियों के अहसासात हैं। इसलिये कि उनके राष्ट्रपति काल में अमरीकियों ने पाया कम और खोया ज़्यादा है। ट्रम्प के बे-दलील रवैये की वजह अमरीका के सम्मान में कमी आई है। जोज़फ़ बाइडन के पहले […]
एक उम्मी लक़ब का ये ऐजाज़ है, आदमी को मिली इल्म की रौशनी
नबी करीम की बुनियादी हैसियत एक मुअल्लिम की है। टीचर्स को इस पहलु से रसूल (सल्ल) की सीरत को पढ़ना चाहिये रबीउल-अव्वल का चाँद नज़र आते ही मुस्लिम दुनिया ख़ास तौर पर हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में मीलादुन्नबी के जलसों की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। अब तो मुबारकबाद देने का सिलसिला भी शुरू हो गया […]
आख़िर बिहार को दुनिया में एहतिराम का मक़ाम कब मिलेगा?
बिहार के पढ़े-लिखे तबक़े की एक बड़ी तादाद दिल्ली में रहती है, उनकी ज़िम्मेदारी है कि वो आम लोगों की रहनुमाई करें। बिहार का ज़िक्र आते ही जो तस्वीर दिल-दिमाग़ में उभरती है वो बड़ी दयनीय होती है। ग़ुरबत, जहालत, बीमारियाँ, बाढ़, तूफ़ान और न जाने कौन-कौन सी मुसीबतें हैं जो आए दिन बिहार […]
हम तो समझे थे कि लाएगी फ़राग़त तालीम
तरबियत के बग़ैर तालीम जहालत नहीं जाहिलियत है हर तरफ़ तालीम का शोर है। कॉलेज, स्कूल मदरसे और पाठशालाएँ हैं। बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटियाँ हैं। दुनिया भर में हर साल लाखों प्रोफ़ेसर, इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, जज, टीचर्स, उलमा, और ब्यूरोक्रेट पैदा हो रहे हैं। जहालत के ख़ात्मे के लिये बहुत-से अभियान चलाए जा रहे हैं। अरबों-खरबों डॉलर […]
बापू! क्या तुम्हें अपने देस का हाल मालूम है?
बापू! तुम हर साल अपने जन्म दिन पर बहुत याद आते हो। मगर केवल एक दिन के लिये। बापू!क्या तुम्हें मालूम है कि हिन्दुस्तान का हाल क्या है? वही देस जिसके लिये तुमने न जाने कितने पापड़ बेले थे। अपना ऐश व आराम खोया था, बल्कि अपनी जान तक क़ुर्बान कर दी थी। तुम्हें ज़रूर […]
मेरी ख़िदमात भी जफ़ा ठहरीं, कैसे दिन आ गए मुहब्बत में
सुदर्शन न्यूज़ का जवाब UPSC में कामयाब होकर मुल्क की ख़िदमत करना है सुदर्शन का मक़सद तो यह था कि इस प्रोग्राम के ज़रिए मुसलमानों से नफ़रत में बढ़ोतरी होगी। साम्प्रदायिक ताक़तों को बल मिलेगा। चैनल की टी आर पी बढ़ेगी। सिविल सर्विसेज़ में मौजूद मुसलमान अफ़सरों को शक की निगाहों से देखा जाने लगेगा। […]
एक हाथ में क़ुरआन हो एक हाथ में साइंस तेरे
वक़्त का तक़ाज़ा है कि मदरसों से पास-आउट मॉडर्न एजुकेशन और कॉलेज के पास-आउट दीनी तालीम हासिल करें) इन्सान के लिये तालीम हासिल करने का अमल उसकी पैदाइश के साथ ही शुरू हो गया था। जब पैदा करने वाले ने पहले इन्सान को ख़ुद से कुछ नाम सिखाए थे और फ़रिश्तों से तालीमी मुक़ाबला […]
अफ़सोस कि फ़िरऔन को कॉलेज की न सूझी
ये एक अटल हक़ीक़त है कि इंसानी ज़हनों को ग़ुलाम बनाने के लिए तालीम एक असरदार हथियार है हम अपनी आँखों से देख रहे हैं कि इंसानी जिस्मों पर ब्रिटिश राज के ख़त्म होने के बावजूद उनकी भाषा, उनकी संस्कृति और उनकी सोच सर चढ़कर बोल रही है। किसी देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति उस […]
आज कल होता गया और दिन हवा होते गए
दुनिया में रोशनी की रफ़्तार बहुत तेज़ है। अंतरिक्ष में रोशनी की रफ़्तार 299,792,458 मीटर प्रति सेकंड है। लेकिन रोशनी की रफ़्तार से भी ज़्यादा तेज़ रफ़्तार वक़्त की है। वक़्त दबे पाँव चला जाता है। कल के बच्चे आज जवान हो गए और कल बूढ़े हो जाएँगे। न जाने कितने लोगों को काँधे पर […]
इन्सानियत की फ़लाह का जज़्बा रखते हुए क़दम से क़दम मिलाकर चलेंगे तो तब्दीली आएगी, इन्क़िलाब दस्तक देगा- कलीमुल हफ़ीज़
मेरे दोस्तों! बदलाव की बातें सब करते हैं। मस्जिद के इमाम से लेकर सियासत के इमाम तक भाषण देते हैं। मश्वरे देते हैं, लेकिन उससे एक क़दम आगे बढ़ने का काम नहीं करते और इसलिये क़ौम जहाँ थी वहीँ रह जाती है। सुननेवालों के दिलों में भी जज़्बात पनपते हैं, अज़्म और पक्के इरादे की […]